हर जोडे को प्रेमी समझना हमारी कुन्ठित मानसिकता हो सकती है। कुछ दिनों पहले ऐसी ही मानसिकता का नजारा दिखाया पटना की महिला पुलिसकर्मियों ने जिन्होनें लप्पड़ों- थप्पड़ों के द्वारा पटना के शहीद पीर अली पार्क में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई । इस घटना पर जहां महिला पुलिसकर्मी अपनी पीठ थप-थपाने में लगी रही वही सभ्रांत समाज सोचने पर मजबूर हो गया है कि क़ानून-व्यवस्था दुरुस्त करने के नाम पर ‘मोरल पुलिसिंग’ कहां तक न्यायोचित है।
संक्षेप में घटना ये हुई कि शाम के वक़्त इस पार्क में कुछ युगल पुलिस की नज़र में चढ़ गये और सरे आम रुटीन बजा रही महिला पुलिस कर्मियों ने इनकी पिटाई कर दी और सबके सामने उठक-बैठक भी करवा डाला। लड़की पर इन पुलिस कर्मियों के हाथ कुछ ज्यादा ही साफ हुए। उसकी तो जम कर धुनाई कर दी।
हालांकि दूसरे ही दिन पटना की एस एस पी ने आरोपी महिला पुलिस कर्मी को निलम्बित भी कर दिया।
लेकिन सवाल ये है कि जब एक लड़का और लड़की एक दूसरे से बातें करते हैं तो क्या वे महज प्रेमी-प्रेमिका ही होते हैं ?
ये दो एक मित्र के रूप में भी हो सकते हैं । सहकर्मी के रूप में हो सकते हैं । सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में हो सकते हैं । एक तरफ तो महिलाओं एवं युवतियों को बराबरी का दर्जा दिये जाने की मांग की जाती हैं तो दूसरी तरफ पुरूषों के साथ कदम ताल करके चलने वाले इन युवतियों को महिलाएँ ही रोकती है ।
दरअसल इन महिला पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण की आवश्यकता है जो संविधान में प्रदत्त अधिकारों को जानें तथा शहरी सभ्य समाज को समझ सकें क्योंकि पुलिस में भर्ती के दौरान शहरी एवं ग्रामीण परिवेश दोनो से कर्मियों की नियुक्तियाँ होती हैं। निचले स्तर पर नियुक्त होने वाले पुलिसकर्मी अमूमन ग्रामीण परिवेश के होते है जहां युवक–युवतियाँ उन्मुक्त वातावरण में नही मिल सकते है। इसलिये इन कर्मियों की मानसिकता भी उसी तरह की होती है ।
साथ ही इन महिला पुलिसकर्मियों को ये भी सोचना चाहिए की उनके साथ काम करने वाले पुरुष पुलिसकर्मी भी होते है और अगर वो कही बैठकर एक दूसरे से अपने अनुभव बाट रहें होते है तो क्या इन्हे भी प्रेमी-प्रेमिका समझा जाये।
महिला पुलिस द्वारा प्रताड़ित हुए युवक – युवती अगर प्रेमी-प्रेमिका थे भी तो वो कोई आपत्तिजनक स्थिति मे नही थे तब इसे उनके स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन माना जाना चाहिए।
अन्त में ऐसे प्रेमी जोड़ों से इतना ही कहना है कि अगर वो सही में एक दूसरे प्यार करते है तो डरे नहीं क्योंकि वो कहते हैं ना कि प्यार पर जितना भी पहरा हुआ है, प्यार उतना ही गहरा हुआ है।
राजीव रंजन
संक्षेप में घटना ये हुई कि शाम के वक़्त इस पार्क में कुछ युगल पुलिस की नज़र में चढ़ गये और सरे आम रुटीन बजा रही महिला पुलिस कर्मियों ने इनकी पिटाई कर दी और सबके सामने उठक-बैठक भी करवा डाला। लड़की पर इन पुलिस कर्मियों के हाथ कुछ ज्यादा ही साफ हुए। उसकी तो जम कर धुनाई कर दी।
हालांकि दूसरे ही दिन पटना की एस एस पी ने आरोपी महिला पुलिस कर्मी को निलम्बित भी कर दिया।
लेकिन सवाल ये है कि जब एक लड़का और लड़की एक दूसरे से बातें करते हैं तो क्या वे महज प्रेमी-प्रेमिका ही होते हैं ?
ये दो एक मित्र के रूप में भी हो सकते हैं । सहकर्मी के रूप में हो सकते हैं । सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में हो सकते हैं । एक तरफ तो महिलाओं एवं युवतियों को बराबरी का दर्जा दिये जाने की मांग की जाती हैं तो दूसरी तरफ पुरूषों के साथ कदम ताल करके चलने वाले इन युवतियों को महिलाएँ ही रोकती है ।
दरअसल इन महिला पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण की आवश्यकता है जो संविधान में प्रदत्त अधिकारों को जानें तथा शहरी सभ्य समाज को समझ सकें क्योंकि पुलिस में भर्ती के दौरान शहरी एवं ग्रामीण परिवेश दोनो से कर्मियों की नियुक्तियाँ होती हैं। निचले स्तर पर नियुक्त होने वाले पुलिसकर्मी अमूमन ग्रामीण परिवेश के होते है जहां युवक–युवतियाँ उन्मुक्त वातावरण में नही मिल सकते है। इसलिये इन कर्मियों की मानसिकता भी उसी तरह की होती है ।
साथ ही इन महिला पुलिसकर्मियों को ये भी सोचना चाहिए की उनके साथ काम करने वाले पुरुष पुलिसकर्मी भी होते है और अगर वो कही बैठकर एक दूसरे से अपने अनुभव बाट रहें होते है तो क्या इन्हे भी प्रेमी-प्रेमिका समझा जाये।
महिला पुलिस द्वारा प्रताड़ित हुए युवक – युवती अगर प्रेमी-प्रेमिका थे भी तो वो कोई आपत्तिजनक स्थिति मे नही थे तब इसे उनके स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन माना जाना चाहिए।
अन्त में ऐसे प्रेमी जोड़ों से इतना ही कहना है कि अगर वो सही में एक दूसरे प्यार करते है तो डरे नहीं क्योंकि वो कहते हैं ना कि प्यार पर जितना भी पहरा हुआ है, प्यार उतना ही गहरा हुआ है।
राजीव रंजन
2 comments:
Rajeev jee, you are very much right that the women policemen should be educated.But in my views I think that every men or women who hold a responsible post should be educated, so that they can judge what is right or wrong.
good concept
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