Sunday, November 2, 2008

नीतीश कुमार - कुछ बातें

आपको मालूम है कि छठ एक लोक आस्था का महा पर्व है। लाखों की संख्या में लोग गंगा नदी के किनारे अर्घ्य देने के लिये आते हैं। और बहुत ही पवित्रता के साथ यह पर्व मनाया जाता है। इसलिये घाटों की सफाई और इंतजाम को ठीक रखना बहुत ही आवश्यक है। जब से हमारी सरकार बनी है तब से हम लोगों ने इसे एक नियमित कार्यक्रम माना है। समय से पहले पूरी तैयारी होती है और विभिन्न अवसरों पर उसकी समीक्षा होती है। तैयारी के क्रम हम लोग देखने आते हैं और जो कुछ भी हम लोगों को प्रतीत होता है कि इसमें और क्या कुछ किया जा सकता है या फिर किया जाना चाहिये उसे अधिकारियों को बताते हैं। कुल मिला कर लोग ठीक ठाक से काम करते हैं ताकि छठ के दौरान तकलीफ कम से कम हो। हालांकि भीड़ की वजह से तकलीफ तो होती है। इस बार भी तैयारियों की समीक्षा की गयी और देखा की जगह-जगह काम लगा हुआ है और इसके मुत्तलिक़ हमने सुझाव भी पेश किया। मुझे विश्वास है कि नगर निगम और ज़िला प्रशासन मिलकर पहले की तुलना में और भी बेहतरी लाएंगे। ऐसी उम्मीद मैं करता हूं। छठ में स्वयं लोग भी बहुत कुछ करते हैं कई मुहल्ले हैं जहां लोग परम्परागत तौर पर छ्ठ समितियां बनाते हैं। और पर्व के दिन सब प्रकार की व्यवस्था को ठीक रखने के लिये काम करते हैं। साथ ही लोगों का सहयोग करते हैं। इस अवसर पर नागरिकों और प्रशासन कि ओर से तमाम प्रयास होते हैं। मुहल्लों के बीच होड़ मची रहती है कि कौन सबसे अच्छा एवं बढ़ चढ़ कर काम कर रहा है। एक गज़ब का अनुशासन देखने को मिलता है। आत्म अनुशासन तो देखने लायक होता है। सबसे बड़ी बात है कि अब तो देश के विभिन्न हिस्सों में छठ पर्व का आयोजन होता है। लेकिन ये बिहार का विशिष्ट पर्व है और बिहारी जहां कहीं भी गये अपनी इस संस्कृति को उन्होनें बरक़रार रखा है। आज तो दिल्ली, मुम्बई जहां भी बिहारी बड़ी संख्या में बसे हैं वहां छठ काफी मशहूर है। हमारा प्रयास होगा कि सरकार कि ओर से साधनों में किसी प्रकार कमी ना होने पाये। हम लोगों की अपेक्षा है कि ज़िला प्रशासन और नगर निगम पूरी शक्ति लगाकर बेह्तर व्यवस्था करेंगे। इसे दुरुस्त करने में नागरिकों से भी मदद मिलेगी।

आम मराठी दोषी नहीं हैं


मुम्बई में भी पिछले कई वर्षों से परम्परागत तौर पर आस्थावान बड़े पैमाने पर समुद्र के किनारे छठ करते आ रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि मुम्बई की सरकार पर्व की गरिमा को बनाये रखते हुए सभी कोशिशें करेगी। मुझे महारष्टृ के लोगों से कोई शिकयत नहीं हो सकती है। इसकी वजह है कि महाराष्टृ के लोग बिहारवासियों से नफरत का भाव नहीं रखते। वहां बहुत ही भले लोग रहते हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से वहां ऐसी ताक़तें उभर रही हैं जो घृणा के आधार पर राजनीति करने में लगी हैं।वे विघटनकारी तत्त्व हैं। मुझे भरोसा है कि जो घटनायें बिहार और उत्तर प्रदेश के निवासियों के साथ हुई हैं अथवा हो रही हैं वे ठीक हो जायेंगी। हमने इस सिलसिले में एक सर्वदलिय शिष्टमंडल को लेकर प्रधानमंत्री से मुलाक़ात की है और उनसे अनुरोध किया है। मैं ये उम्मीद करता हूं और हमारी ऐसी अपेक्षा है कि महाराष्टृ की सरकार पूरी मुस्तैदी से पर्व के दौरान शांति बहाल करने के लिये क़दम उठाएगी। इसका ख्याल रखा जायेगा कि छठव्रतियों को किसी प्रकार की कठिनाई ना हो और पुजा में कोई व्यवधान ना हो। ये भी सुनिश्चित किया जायेगा कि छठ शांतिपुर्वक सम्पन्न हो जाये। हमलोगों कि यही अपील है कि शांति बहाल रहे। जैसा कि मैनें कहा आम मराठी लोग इस पूरे प्रकरण के लिये कहीं से भी दोषी नहीं हैं। बस कुछ लोग हैं जो अपनी नेतागिरी चमकाने के चक्कर में माहौल को विषाक्त कर रहे हैं। वैसे ऐसे लोगों का इलाज क़ानून और संविधान में है। लेकिन सवाल इस बात का है कि वहां और केंद्र की सरकार इस इलाज के लिये क़दम उठाती है या फिर इससे कतराती है। इसका इलाज है क़नूनी तौर पर देश को तोड़ने वाली ताक़तों के साथ सख़्ती के साथ पेश आना। उनके के साथ मुलायमियत से पेश आएंगे तो उनका मन बढ़ेगा। महाराष्टृ में जो भी हुआ उसकी जितनी भी निन्दा की जाये वो कम है। इसलिये दोषी लोगों को चिह्नित कर के उनको तत्काल गिरफ़्तार किया जाये। स्पीडी कार्रवाई कर उनको सज़ा दिलानी चाहिये ताकि लोगों के जान माल की रक्षा हो सके। देश एक है, मुम्बई पर सबका हक़ है। वहां पूरे देश का पैसा लगा हुआ है। कुछ बातें

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

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